Thursday, June 15, 2006

क्या गोरखधंधा है ये सब

हमारे नाटकबाज नेतागण भी क्या क्या नाटक रच डालते हैं। अब क्या करें वोट बैंक भी बचाना है और सरकार भी चलानी है। उसी सरकार का विरोध करना है जिसमें खुद मलाई खा रहे हैं। महंगाई के मुद्दे पर पहले वाम दलों की और अब सोनिया जी की प्रतिक्रिया कुछ इसी का परिणाम है और भाजपा बेचारी परेशान है। एक तो हादसों ने कमर तोड रखी है। यात्रा वात्रा से कुछ हुआ धरा नही। और ये लोग विपक्ष की भूमिका भी नही करने देते चैन से। कोई मुद्दा आया कि सरकार में शामिल दल खुद ही विपक्ष की भूमिका भी निभा डालते हैं। क्या गोरखधंधा है ये सब। जनता तो निरी बेवकूफ ठहरी। मारकर थोडा सा सहला दो बस सब भूल जाती है। अरे भाई अगर इतनी ही चिन्ता है इन विरोध करने वालों को जनता की, तो सत्ता सुख छोड दो ना, पर नही वो भी चाहिये और जनता को दिखना चाहिये कि विरोध भी हो रहा है। इसी को कहते हैं, "साँप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे"।

नहीं दूसरी ओर काँग्रेस के समर्थन से सत्ता में बैठे अमर सिंह जी परेशान हैं। अब लाभ के पद हों या आयकर के छापे हों, दोनों दलों में इतनी ही मारामारी है तो केंद्र में और उत्तरप्रदेश में एक दूसरे का समर्थन मत करो भाई। लेकिन नही राहुल भी मुलायम के खिलाफ बोलेंगे और अमर जी सोनिया जी पर तोप चलायेंगे। क्या मजबूरियां हैं इस राजनीति की भी। क्या क्या नाटक दिखाते हैं ये लोग। जो लोग एक दूसरे को फूटी आँखों नही देख सकते साथ साथ सत्ता सुख भोगने को अभिशप्त हैं। सत्ता चीज़ ही कुछ ऐसी है। क्या सोचते हैं आप?

2 Comments:

Blogger Yugal said...

वाम दलों जैसी नाटकबाज पार्टीयां पूरी दुनिया में नहीं है

Thursday, June 15, 2006 5:04:00 PM  
Blogger ई-छाया said...

धन्यवाद युगल जी, आपकी बात सच ही लगती है।

Friday, June 16, 2006 12:31:00 PM  

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