अरे पूर्व प्रधानमंत्री जी संभल के
खबर पढी कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी पी सिंह जी पकड लिये गये फिर छोड दिये गये। भारत इन पूर्व प्रधानमंत्रियों के बोझ से परेशान है। जनता की गाढी कमाई का लाखों रुपया हर सप्ताह डायलिसिस पर उडाने वाले सिंह साहब रिलायंस के खिलाफ दादरी में प्रदर्शन कर रहे थे। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार जैसे राज्य अदूरदर्शी राजनेताओं के राज करने का परिणाम भोग रहे हैं। १९९० से आज तक मध्यप्रदेश में दिग्विजय, बिहार में लालू और उत्तरप्रदेश में भिन्न भिन्न राजनेता राज करते रहे और औद्योगीकरण की अनदेखी करते रहे, परिणामस्वरूप राज्य से उद्योग बाहर जाते गये या मरते गये। यही वो वर्ष थे जब बंगलौर बंगलौर बना या हैदराबाद हैदराबाद बना। अब जब अमरसिंह जी किसी तरह निजी रिश्तों के बल पर कुछ लाये हैं तो उन्हे हतोउत्साहित करना कितना गलत है यह एक पूर्व प्रधानमंत्री को तो सोचना ही चाहिये।
देश का दुर्भाग्य ही है कि चार पूर्व प्रधानमंत्रियों में से शायद ही कोई यथोचित व्यवहार कर रहा है। हरदनहल्ली "सुसुप्त" देवगौडा जहाँ कर्नाटक में चल रहे अपने नाटक में इन्फोसिस तथा अन्य उद्योगों के पीछे पडे हैं, वहीं अटल जी राहुल महाजन विषय पर "जवानी की भूल" जैसे बयान देते हैं।
ऐसे में तो यही सलाह देने का मन करता है कि अरे पूर्व प्रधानमंत्रियों जरा संभल के।
देश का दुर्भाग्य ही है कि चार पूर्व प्रधानमंत्रियों में से शायद ही कोई यथोचित व्यवहार कर रहा है। हरदनहल्ली "सुसुप्त" देवगौडा जहाँ कर्नाटक में चल रहे अपने नाटक में इन्फोसिस तथा अन्य उद्योगों के पीछे पडे हैं, वहीं अटल जी राहुल महाजन विषय पर "जवानी की भूल" जैसे बयान देते हैं।
ऐसे में तो यही सलाह देने का मन करता है कि अरे पूर्व प्रधानमंत्रियों जरा संभल के।
2 Comments:
अनुभव भी उस्ताद बनाता है।
-प्रेमलता
प्रेमलता जी,
पधारने के लिये धन्यवाद। क्या ऐसा लगता है आपको?
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