Wednesday, July 12, 2006

सलाम बॉम्बे

खून चाहिये बदले में।
मुंबई ने एक बार फिर नाकाम की है आग में जलकर गंदी साजिश इन फिरकापरस्त ताकतों की। मुंबई हमारे गौरव की प्रतीक है, हमारी एकता की प्रतीक है। कहाँ हैं वो सर्वे करने वाले जो मुंबई को बद्तमीज बताने की गुस्ताखी कर गये थे। मुंबई रुकी नही, थमी, पर डरी नही, ठिठकी पर रफ्तार कम न होने दी। मेरा और मेरे जैसे हजारों लाखों देशवासियों का सलाम मुंबई को। और सरकार तथा मुस्तैद मानी जाने वाली मुंबई पुलिस से उम्मीद कि उन रक्तपिपासुओं का रक्त जल्द ही उनके शरीर का साथ छोड देगा।

मही नही जीवित है
मिट्टी से डरने वालों से
जीवित है वह उसे फूंक
सोना करने वालों से

- रामधारी सिंह "दिनकर"

जय भारत, जय हिंदुस्तान, सलाम बॉम्बे

4 Comments:

Blogger प्रेमलता पांडे said...

बिल्कुल।

Wednesday, July 12, 2006 1:22:00 AM  
Blogger अनुनाद सिंह said...

जूते खाते रहो और हर जूते पर थैंक्यू भी बोलते रहो !! अपने को गलफहमी में रखना सबसे आनन्ददायक है |

Wednesday, July 12, 2006 5:45:00 AM  
Blogger संजय बेंगाणी said...

अपनी पीठ ठोकने के बाद क्या मुम्बई इस पर भी विचार करेगी कि हमारे साथ ही ऐसा बार बार क्यों हो रहा हैं? हमारे तंत्र को आगे क्या करना हैं? क्यों नहीं आज तक ऐसे अपराधीयों को सजा मिली.

Wednesday, July 12, 2006 7:15:00 AM  
Blogger ई-छाया said...

प्रेमलता जी, अनुनाद भाई एवं संजय जी,
घन्यवाद, ये समय आवेशित होने का नही, मुझे यकीन है मेरे भारत पर, आप भी देखियेगा दोषियों को सजा मिलेगी, और रहा इसकी जड पाकिस्तान, कितने दिन खैर मनायेगा।

Wednesday, July 12, 2006 11:59:00 AM  

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