Wednesday, July 12, 2006

सलाम बॉम्बे

खून चाहिये बदले में।
मुंबई ने एक बार फिर नाकाम की है आग में जलकर गंदी साजिश इन फिरकापरस्त ताकतों की। मुंबई हमारे गौरव की प्रतीक है, हमारी एकता की प्रतीक है। कहाँ हैं वो सर्वे करने वाले जो मुंबई को बद्तमीज बताने की गुस्ताखी कर गये थे। मुंबई रुकी नही, थमी, पर डरी नही, ठिठकी पर रफ्तार कम न होने दी। मेरा और मेरे जैसे हजारों लाखों देशवासियों का सलाम मुंबई को। और सरकार तथा मुस्तैद मानी जाने वाली मुंबई पुलिस से उम्मीद कि उन रक्तपिपासुओं का रक्त जल्द ही उनके शरीर का साथ छोड देगा।

मही नही जीवित है
मिट्टी से डरने वालों से
जीवित है वह उसे फूंक
सोना करने वालों से

- रामधारी सिंह "दिनकर"

जय भारत, जय हिंदुस्तान, सलाम बॉम्बे

Sunday, July 09, 2006

अरे पूर्व प्रधानमंत्री जी संभल के

खबर पढी कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी पी सिंह जी पकड लिये गये फिर छोड दिये गये। भारत इन पूर्व प्रधानमंत्रियों के बोझ से परेशान है। जनता की गाढी कमाई का लाखों रुपया हर सप्ताह डायलिसिस पर उडाने वाले सिंह साहब रिलायंस के खिलाफ दादरी में प्रदर्शन कर रहे थे। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार जैसे राज्य अदूरदर्शी राजनेताओं के राज करने का परिणाम भोग रहे हैं। १९९० से आज तक मध्यप्रदेश में दिग्विजय, बिहार में लालू और उत्तरप्रदेश में भिन्न भिन्न राजनेता राज करते रहे और औद्योगीकरण की अनदेखी करते रहे, परिणामस्वरूप राज्य से उद्योग बाहर जाते गये या मरते गये। यही वो वर्ष थे जब बंगलौर बंगलौर बना या हैदराबाद हैदराबाद बना। अब जब अमरसिंह जी किसी तरह निजी रिश्तों के बल पर कुछ लाये हैं तो उन्हे हतोउत्साहित करना कितना गलत है यह एक पूर्व प्रधानमंत्री को तो सोचना ही चाहिये।

देश का दुर्भाग्य ही है कि चार पूर्व प्रधानमंत्रियों में से शायद ही कोई यथोचित व्यवहार कर रहा है। हरदनहल्ली "सुसुप्त" देवगौडा जहाँ कर्नाटक में चल रहे अपने नाटक में इन्फोसिस तथा अन्य उद्योगों के पीछे पडे हैं, वहीं अटल जी राहुल महाजन विषय पर "जवानी की भूल" जैसे बयान देते हैं।
ऐसे में तो यही सलाह देने का मन करता है कि अरे पूर्व प्रधानमंत्रियों जरा संभल के।